पहुंच चाहे जितनी भी ऊंची हो, प्रशासन के न्याय से ऊंची नहीं हो सकती!
दिव्यांग बालिकाओं को ठुकराने वाली नामी संस्थाएं आयेंगी कटघरे में, डीएम सविन बंसल का सख्त संदेश – सेवा के नाम पर व्यापार नहीं!
गोविन्द शर्मा ( पत्रकार ) 7807238177
जिन संस्थाओं के नाम बड़े थे, दर्शन छोटे निकले। दिव्यांग और असहाय बालिकाओं को जब मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब इन्हीं नामी-गिरामी संस्थाओं ने दरवाजे बंद कर दिए। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और विदेशी फंडिंग का लाभ उठाने वाली इन तथाकथित “सेवा संस्थाओं” की असलियत जब सामने आई तो जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने पूरे जिले में हलचल मचा दी।
20 दिव्यांग बालिकाओं को किसी भी संस्था में दाखिला नहीं मिलना – ये कोई सामान्य बात नहीं थी। डीएम ने इसे न सिर्फ गम्भीरता से लिया, बल्कि साफ कर दिया कि जो संस्थाएं सेवा के नाम पर धोखा देंगी, उनका अस्तित्व खत्म करने से प्रशासन पीछे नहीं हटेगा।
डीएम ने 10 बिंदुओं पर आधारित उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर दी है, जो तय समयसीमा में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट में अगर संसाधनों की कमी, झूठे दस्तावेज, स्टाफ की अनुपस्थिति या बच्चों की संख्या में हेराफेरी पाई गई, तो संबंधित संस्थाओं का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
सेवा नहीं, व्यवसाय बन चुकी हैं कुछ संस्थाएं
जांच के दायरे में वो संस्थाएं हैं, जो फाइलों में संसाधन, स्टाफ और बच्चों की संख्या तो बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत में न स्टाफ है, न सुविधा। डीएम ने इस पर भी नाराजगी जताई कि कई बार जिला प्रोबेशन अधिकारी और समाज कल्याण अधिकारी के निर्देश भी इन संस्थाओं ने मानने से इनकार कर दिया।
डीएम का स्पष्ट संदेश – “दस्तखत करोड़ों दिला सकते हैं, जरूरत पड़ी तो वही दस्तखत सब कुछ खत्म भी कर देंगे।”
डीएम सविन बंसल ने अधिकारियों को भी आगाह किया कि उनकी सिफारिशें, उनके हस्ताक्षर सिर्फ कागज़ी खानापूरी नहीं हैं – उनके एक दस्तखत पर सैकड़ों असहाय बच्चों का भविष्य निर्भर करता है। अधिकारों के हनन पर अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।
जिन संस्थाओं पर गिरेगा प्रशासनिक गाज
जांच के घेरे में कई प्रमुख संस्थाएं हैं, जिनमें बजाल इंस्टिट्यूट ऑफ लर्निंग, लतिका राय फाउंडेशन, रैफल राइडर चौशायर इंटरनेशनल सेंटर, अरुणिमा प्रोजेक्ट विथ ऑटिज्म, यशोदा फाउंडेशन, एमडीआरएस तपोवन, नन्ही दुनिया, आशा स्कूल गढ़ीकैंट, वसुंधरा मानव कल्याण संस्था समेत कुल 20 से अधिक संस्थाएं शामिल हैं।
प्रशासन का प्रण – “मानव मूल्य प्रथम, सेवा के नाम पर पंजीकरण नहीं बनेंगे मुनाफे के साधन”
डीएम ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह संस्थाएं “मानवीय सेवा केंद्र” हैं, न कि “व्यवसायिक अड्डे।” यदि किसी संस्था ने मानव सेवा को व्यापार में बदला तो वह अब इस जिले में नहीं टिक पाएगी।
न्याय का नया संदेश – दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा में नहीं होगी कोई कोताही
यह कदम सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट सामाजिक संदेश है – समाज के सबसे कमजोर वर्ग की उपेक्षा अब नहीं सहन की जाएगी। जो नियम, कानून और नैतिकता से बाहर होंगे, प्रशासन उन पर प्रहार करेगा।
संस्थाएं सावधान हो जाएं – अब सिर्फ नाम नहीं, काम दिखाना होगा।