त्यूणी में बदली तस्वीर: ‘धाकड़ डीएम’ सविन बंसल ने जलाई शिक्षा और उम्मीद की लौ”

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By Pahadi Darpan

त्यूणी में बदली तस्वीर: ‘धाकड़ डीएम’ सविन बंसल ने जलाई शिक्षा और उम्मीद की लौ”

पर्वतीय दुर्गमता, सीमित संसाधन और विकास की धीमी रफ्तार—ये शब्द जब-जब त्यूणी का ज़िक्र आता है, तो बरसों से यहां के लोग इन्हीं मुश्किलों में जकड़े नजर आते हैं। खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी आवश्यकताएं, जिन पर किसी भी क्षेत्र का भविष्य टिका होता है, त्यूणी में हमेशा ही उपेक्षा का शिकार रही हैं। बच्चों की आँखों में सपने तो थे, लेकिन उनके पीछे खड़ा कोई मजबूत आधार नहीं था।

लेकिन ये सब कुछ बदलना शुरू हुआ जब जिलाधिकारी सविन बंसल ने अपना कार्यभार संभाला। उनके कदम त्यूणी की धरती पर क्या पड़े, जैसे वर्षों से सूखा पड़ा यह इलाका एक नई ऊर्जा से भर उठा। सविन बंसल ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी—शिक्षा और स्वास्थ्य। यही वे दो क्षेत्र थे जिनकी सबसे ज्यादा उपेक्षा हुई थी और यही दो क्षेत्र थे जिनकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी।

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, त्यूणी: जहां चुप्पी थी, अब ज्ञान की चर्चा है

त्यूणी का डिग्री कॉलेज वर्षों से एक अधूरी उम्मीद की तरह खड़ा था। न पढ़ने के लिए समुचित व्यवस्था, न रुकने की कोई जगह और न ही वह माहौल जिसमें छात्र आत्मविश्वास से पढ़ाई कर सकें। छात्र-छात्राएं अक्सर बेंचों और क्लासरूम के कोनों में बैठकर पढ़ते थे। लाइब्रेरी की कमी और पढ़ाई के लिए एकांत स्थान न होने के कारण पढ़ाई के प्रति रुचि रखने वाले भी हतोत्साहित हो जाते थे।

पर सविन बंसल ने यहां एक बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाया—एक आधुनिक और सुसज्जित रीडिंग रूम की स्थापना। यह रीडिंग रूम सिर्फ एक कमरा नहीं, बल्कि छात्रों के लिए एक ऐसी जगह है जहाँ वे ध्यानपूर्वक पढ़ाई कर सकते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं और खुद को बेहतर भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।

अब छात्र गर्व से कहते हैं, “पहले हम सोचते थे कि बड़े शहरों में ही पढ़ाई होती है, लेकिन अब हमें खुद पर भरोसा होने लगा है।” कई छात्र इस रीडिंग रूम को “ज्ञान का मंदिर” कहने लगे हैं। वहां की दीवारों पर किताबों की खुशबू और छात्रों की आंखों में भविष्य की चमक देखी जा सकती है।

राजकीय इंटर कॉलेज, त्यूणी: जहां खेल भावना को मिला मैदान

त्यूणी के सबसे बड़े इंटर कॉलेज में छात्रों की संख्या तो थी, पर सुविधाओं का अभाव साफ दिखता था। सबसे बड़ी समस्या थी—वॉलीबॉल ग्राउंड की कमी। इस खेल के प्रति छात्रों में गहरी रुचि थी, लेकिन खेलने के लिए उपयुक्त स्थान न होने के कारण प्रतिभाएं दम तोड़ रही थीं।

हर साल छात्र वॉलीबॉल प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी करते, लेकिन बिना प्रैक्टिस ग्राउंड के उनकी टीमें कभी अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच पातीं। धीरे-धीरे खेल के प्रति उत्साह खत्म होने लगा, और कई छात्रों ने खेलना छोड़ दिया।

लेकिन तब एक नई सुबह आई।

डीएम सविन बंसल ने जैसे ही यह बात सुनी, तुरंत वॉलीबॉल ग्राउंड के लिए विशेष धनराशि स्वीकृत की। उनका यह निर्णय छात्रों के लिए एक सपने के सच होने जैसा था। अब जल्द ही इंटर कॉलेज में एक पूर्ण विकसित वॉलीबॉल ग्राउंड तैयार होगा, जहाँ छात्र न केवल अभ्यास कर सकेंगे, बल्कि अपने हुनर को और निखार सकेंगे।

छात्रों ने भावुक होकर कहा, “हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि यहां हमें भी ऐसा ग्राउंड मिलेगा। हम तो मान चुके थे कि खेलों में आगे बढ़ना हमारे लिए नामुमकिन है, लेकिन अब… अब हम भी सपना देख सकते हैं।”

एक नई पहचान: “धाकड़ डीएम”

त्यूणी जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्र में, जहाँ लोग अक्सर खुद को प्रशासन से दूर महसूस करते थे, वहीं सविन बंसल ने जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनी, उन्हें समझा और समाधान दिया। यही कारण है कि आज यहां का हर छात्र, हर शिक्षक, हर माता-पिता उन्हें एक नए नाम से बुला रहा है—”धाकड़ डीएम”।

उनकी कार्यशैली, संवेदनशीलता और दूरदर्शिता ने न केवल प्रशासन की छवि को बदला है, बल्कि छात्रों के दिलों में नई आशा, विश्वास और आत्मबल भी भरा है।

त्यूणी का यह बदलाव केवल विकास की एक खबर नहीं है। यह एक संघर्ष की कहानी है, जो निराशा से शुरू होकर आशा की ओर बढ़ी है। यह उस बदलाव की कहानी है, जहाँ एक अधिकारी ने अपने कर्तव्य को केवल फाइलों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि धरातल पर उतरकर छात्रों का भविष्य संवारा।

त्यूणी के लोगों की जुबान पर आज एक ही बात है—
“धन्यवाद, धाकड़ डीएम सविन बंसल, आपने हमें सुना, समझा और उम्मीद दी।”